सोमवार, 20 सितंबर 2010

गीलोय [अमृता] के औषधीय गुण







वैज्ञानिक नाम - Tinospora cordifolia (willd) Hook.f.&Thoms.

गिलोय भारतवर्ष में प्राय:सभी जगह पायी जाती है !किसी भी पेड के उपर सहारा ले कर गिलोय की बेल चढ जाती है और जैसा कि इसके नाम से ही इसका परिचय मिलता है अमृता अर्थात कभी ना सूखने वाली, यह जिस भी बृक्ष पर चढती है उसके गुणों को अपने में समाहित कर लेती है ! अत: नीम के बृक्ष पर चढी हुई गिलोय की बेल अच्छी मानी जाती है ! गिलोय का तना मोटा होता है व पत्तियां पान के पत्तों के आकार की होती है ! ग्रीष्म ऋतु में इसमें छोटे - छोटे लाल रंग के फल भी लगते हैं ! अपने घर में गमले में इसे आसनी से उगा सकते हैं ! इसकी डन्डियां सुखाकर पीस लें या सूखी डन्डियों को पानी में भिगा कर व कूट कर भी गिलोय का रस निकाल सकते हैं ! इसके अद्भुत परिणामों से आपका परिचय करा रही हूं ! --




1.पूरे विश्व में स्वाइन फ़्लू नामक रोग अपनी जडें फैला चुका है ,गिलोय में इस रोग के निवारण की अद्भुत क्षमता है ! गिलोय की लगभग एक फ़िट लम्बी डन्डी को लेकर उसमें कुछ तुलसी के पत्ते मिलाकर कूट लें, इसका रस नित्य पीयें ! स्वाइन फ़्लू पास नही फटकेगा !और यदि स्वाइन फ्लू हो जाये तो इसका रस तुलसी के पत्ते मिलाकर दिन में कम से कम 5 - 6 बार दें !

2.शरीर मे ब्लड सैल्स कम हो जाने पर गिलोय का रस रोज पिलाये, बडी तीव्रता से हिमोग्लोबिन बढेगा !

3.बुखार आ जाने पर या टाइफ़ाइड हो जाने पर गिलोय की एक डन्डी [लगभग एक फ़िट लम्बी ] 7 तुलसी के पत्ते, 5 काली मिर्च व एक टुकडा अदरक ले कर कूट ले व दो ग्लास पानी डालकर उबाल लें, जब एक ग्लास के लगभग रह जाये तो कुछ ठंडा कर पी लें ,दिन मे लगभग तीन बार पीयें ,बुखार उतर जायेगा!वह भी बिना कमजोरी व साइड इफ़ैक्ट के !

4.गिलोय के रस में त्रिफ़ला व पीपल का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर प्रात: व सायं दोनों टाइम लगातार लेने
से नेत्र ज्योति बढती है !

5.शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिये भी गिलोय का प्रयोग किया जा सकता है, यह शरीर के त्रिदोष [ वात, पित्त,व कफ़ ] को दूर करती है तथा रोगों से शरीर को बचाती है !

6.गिलोय के रस से पेट की एसिडिटी कम होती है तथा हार्ट को बल मिलता है ! यह शरीर में इंसुलिन की उत्पत्ति व रक्त में उसकी घुलनशीलता को बढाता है !जिससे रक्त शर्करा घटती है ! अत: गिलोय शरीर में ब्लड प्रेशर व शुगर दोनों को कन्ट्रोल करती है !

7.डैगू बुखार हो जाने पर मरीज को दिन में कई बार गिलोय का रस पिलाये तीव्रता से लाभ होगा !

8.क्षय रोग उत्पन्न करने वाले माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबर -कुलोसिस जीवाणु की वृद्धि को गिलोय सफलता पूर्वक रोकती है ! शरीर के जिस भाग में भी ये जीवाणु शान्त पडे रहते है, गिलोय वहां पहुंच कर उनका नाश करती है ! अत: क्षय रोगी इसे रोग की गम्भीरता के अनुसार दिन में दो या तीन ले सकते हैं !

9.गिलोय आतों से सम्बन्धित रोगों को भी दूर करने में मदद करती है ! ई कोलाइ नामक रोगाणु को जो आतों के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करता है उसे गिलोय जड से उखाड फैकती है !

10.गिलोय के रस को पानी में घिस कर व गुनगुना करके कान में डालने से कान का मैल निकल जाता है !

11.यदि हिचकी बन्द न हो रही हो तो गिलोय व सोंठ के चूर्ण को सूंघें या गिलोय व सोंठ का रस दूध में मिलाकर पीयें !

12.दूध के साथ गिलोय का चूर्ण 2 से 5 ग्राम तक दिन में दो या तीन बार लेने से गठिया रोग दूर हो जाता है ! कम से कम दो महीना लगातार लें !
अच्छे आयुर्वैदिक संस्थानों या योग गुरु बाबा रामदेव जी के पतन्जलि चिकित्सालयों मे गिलोय का चूर्ण या गिलोय घनवटी [पतन्जलि चिकित्सालय] मिल जाती है जिसका उपयोग सभी आसानी से कर सकते हैं !