गुरुवार, 2 मार्च 2023

वही वक्त लौटा लाएं 

साँझ दस्तक दे रही, आओ अब लौट चलें।
इतना आसां तो नहीं सफर में फिर मुड़ जाना ,
तूफानों से बचना होगा ,



तेरी बेवफाइओं  का चर्चा आम हो गया ,
सुना है शहर में इश्क  का, फिर कत्लेआम हो गया। 
दागे दिल  नजर तो  नहीं आता ,
धूमिल नजरों को देखना अब आसान हो गया। 
हाँ  ये चर्चा अब आम हो गया।।
आ रही है हाले दिल पर  हँसी ,
क्यों वफाओं का काम तमाम हो गया। 
हाँ ये चर्चा अब आम हो गया ।।
ये शहर तो रौशनी के लिए मशहूर हुआ करता था ,
क्यों अँधेरे खंडहरों से बदनाम हो गया। 
हाँ ये चर्चा अब आम हो गया।।
सूनी आँखों में अब सपने नहीं जगते ,
अश्कों के सैलाब में कश्ती भी नजर नहीं आती,
  दर्द एक  संगदिल तूफ़ान हो गया।
हाँ ये चर्चा अब आम हो गया ।।







 तुम बिन कोई न भाया इस मन को।
चाह तुम्ही ,आरजू तुम्ही,
नैनों की मूक भाषा में ,मधुर बसे  संसार तुम्ही।
मैंने हर लम्हे में बस सजो दिया तेरी यादों को।
तुम बिन कोई ना भाया  इस मन को

अर्पण, समर्पण की परिभाषाएं ,
तुम पर खतम  तुमसे शुरू।
अपने क़दमों की आहट से,
सुरभित कर दो इस जीवन को।
तुम बिन कोई न भाया  इस मन को।





हमने तेरे शहर में आकर,खुद की महफ़िल सजा ली।
अरमानों की डोली चढ़ ,एक नई दुनियां बसा ली।
तेरे  इश्क  के  शहर में , आकर डूब गए
चढ़ गए की शूली, बावरेपन में ,
मौत से पहले अपनी अर्थी सजा ली।
  प्यार कोई बेबसी तो नहीं ,
मेरे इश्क की मासूमियत ही थी
पर लाजबाब हो तुम ,
हमें बेसब्र तन्हाई देकर,
हर रोज एक  नई  बारात सजा ली।
नाजायज तमन्नाओं को दी बेमिशाल ऊंचाई ,
मेरी हशरतों  का तो कोई नाम  न था।
तुमसे मांगा था सिर्फ तुम्हीं को ,
नैनों  की बरसात मेरे नाम कर दी।



जी में आता है
दिल में भरे दर्द की
बस एक" चिलम" सुलगाऊं
एक तेज" कश भर कर"
गोल छल्लों. में उडाऊं
रीते मन की व्यथा
धुएं में खो जाए
आँखों में उतरे सावन से
एक घटा बरस जाए
और सुलगे हुए लम्हों को
कहीं ठंडक मिल पाए 
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गुरुवार, 30 जुलाई 2015

मधुमेह (डाइबिटीज़) होने पर सरल घरेलू उपाय अपनाएं , स्वस्थ रहें ।



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मधुमेह (डाइबिटीज़)   होने पर सरल   घरेलू उपाय अपनाएं , स्वस्थ रहें । 

आज विश्व  में लगभग २० करोड़ लोग मधुमेह  से पीड़ित है , जिसमें से 5 करोड़ लोग भारत में ही डाइबीटीज़ से पीड़ित है। अगर इस रोग को कंट्रोल ना किया जाय तो इसका असर किडनी , आँख , हार्ट , और ब्लड प्रेशर पर भी पड़ता है। 

क्या है मधुमेह ( डायबिटीज़ ) ? 

यह रोग किसी वाइरस या कीटाणु के कारण नहीं होता। हम जो भी भोजन करते है वह हमारे शरीर में जाकर सबसे पहले स्टार्च में बदलता है ,  फिर स्टार्च ग्लूकोज  में बदलता है ,जिसे शरीर की  सभी कोशिकाओं   में  पहुंचाने  का काम इन्सुलिन के द्वारा किया जाता है। उदर के बांयी ओर आमाशय ( स्टमक ) के ठीक नीचे पेन्क्रियाज होता है। इसी में इन्सुलिन बनता है। मधुमेह के  रोगी को इन्सुलिन हार्मोन  बनना बंद या कम हो जाता है जिससे शरीर में ग्लूकोज ( शक्कर ) की मात्रा  कम हो जाती है। इन्सुलिन के आभाव शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है और समस्त मेटाबलिज़म सिस्टम अस्त व्यस्त हो जाता है , रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। 

मधुमेह ( डाइबिटीज़ ) के लक्षण -

  1. बहुत अधिक भूख  लगना।
  2. बहुत  अधिक नींद आना। 
  3. बार बार पेशाब आना। 
  4. गला सूखना व बार -बार प्यास लगना।
  5. शरीर के कुछ भागों में झनझनाहट होना। 
  6. चोट लगने पर घाव का बहुत देर से भरना। 
  7. आँखों में धुंधलापन होना। 
  8. वजन में कमी होना। 
  9. शरीर का तापमान कम होना। 
  10. हर समय कमजोरी और थकान होना।



  मधुमेह ( डाइबिटीज ) को नियंत्रित करने के घरेलू  उपाय 

  1. काले जामुन मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।  इससे ब्लड  में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है।
  2. एक ग्राम दालचीनी को एक महीने तक लगातार इस्तेमाल करें ,इससे ब्लड शुगर कम होने के साथ - साथ 
  3. वजन भी कम होगा।
  4. 10 ग्राम आँवले के जूस में लगभग 2  ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर नित्य लें। 
  5. करेले को अपने भोजन में शामिल कीजिये। करेले में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह रक्त 5 -   में ब्लड शुगर की मात्रा को कम करता है।
  6. खीरा, करेला व टमाटर का रस निकालकर सुबह खाली पेट नित्य लें। बहुत जल्दी शुगर कंट्रोल होगा।
  7. मेथी दाना भिगाकर  अंकुरित कर लें , रोज इसे अपने नाश्ते में शामिल कर सकते हैं। हैदराबाद पोषण विज्ञानं संस्थान   के वैज्ञानिक टी. सी.रघुराम के अनुसार मेथी के बीज का चूर्ण एक से दो चम्मच  खाना खाने के 10 से 20  मिनट पहले मट्ठे या पानी के साथ लेने से विशेष लाभ होता है। 
  8. मधुमेह के रोगी को लोकी ,परवल , पालक, मेथी ,तोरई ,अमरुद व पपीता आदि फल व सब्जियो का सेवन ज्यादा करना चाहिए।
  9.  सोयाबीन व उससे बने पनीर, दूध, लस्सी का प्रयोग करें। सोयाबीन में उपस्थित प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेड मधुमेह के रोगियों के लिए श्रेष्ठतम औषधि है। सोयाबीन के प्रयोग से पेशाब में शुगर बहुत तेजी से कम होती है। 
  10. गिलोय के पत्तों का रस,चूर्ण या गोली ( गिलोय घनवटी नाम से पतंजलि उत्पाद ) प्रतिदिन भोजन से पूर्व लें। यह ब्लड शुगर के लेबल को कम करती है।
  11. 6  बेल के पत्ते, 6  नीम के पत्ते ,6 तुलसी के पत्ते , 6 बैगनबेलिया के पत्ते और ३ कालीमिर्च को पीसकर खली पेट पानी के साथ लें। इसके आधे घंटे तक कुछ ना खाएं। इसके नियमित सेवन से शुगर प्रायः खत्म हो जाती है।
  12. गेहूं ,चावल ,बाजरा व साबूत मूंग 5 ०० - 5 ०० ग्राम सेक कर दलिया बना लें। इसमें 20 ग्राम अजवाइन व 50 ग्राम सफ़ेद तिल मिला लें। 150 ग्राम दलिया लगभग 400 ग्राम पानी में पकाएं। इसमें अपनी इच्छानुसार सब्जियां ,हरा धनिया  अदरक ,लहसुन आदि मिलाएं। एक महीने तक लगातार इसे सेवन करें। चमत्कारिक लाभ होगा। 

मधुमेह (डायबिटीज ) के रोगी के लिए योग व आसन 

प्राणायाम -   

मधुमेह के रोगी को पैदल घूमना आवश्यक है। साथ में योग व प्राणायाम करें।  भ्रास्तिका कपालभाति ,बाह्य , उज्जायी , अनुलोम विलोम , भ्रामरी ,उद्गीत व ध्यान प्राणायाम करें। ( इसके लिए मेरे  ब्लॉग की पोस्ट  "उत्तम स्वस्थ का आधार प्राणायाम '' पढ़ सकते हैं। ) 

आसन -

मधुमेह के रोगी को मंडूकासन  3  से 21  बार तक अपनी क्षमतानुसार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शंशकासन , वकासन,  भुजांगासन।, अर्धमत्स्येन्द्रासन  आदि आसान अपनी क्षमतानुसार धीरे - धीरे कर सकते हैं। 

एक्यूप्रेशर -

कनिष्ठा  अंगुली के   एक अंगुल नीचे मधुमेह के पॉइन्ट को  कम से कम  5 मिनट तक दोनों हाथों में  दबाएं। इसके बाद हाथों के बीचों बीच किडनी का पॉइन्ट भी दबाएं। इससे नुकसान तो कुछ भी नहीं है। जब भी खाली पेट  हों इन पॉइंट्स को दबा सकते हैं।

चमत्कारिक मधुमेह अवरोधी आहार योजना 

प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक डाक्टर नागेन्द्र कुमार नीरज जी के अनुसार -- नाश्ता ----- 

प्रातः काल एक नीबू व 200 मिली लीटर मेथी का पानी ( रात को २०० मिली लीटर पानी में २० ग्राम मेथी दाना भीगा दें, प्रातः छानकर पी लें।  )  मेथी दाने को अंकुरित करके खा लें। नित्य क्रिया से निवृत होकर योग व प्राणायाम करें तथा शक्ति के अनुसार टहलें। फिर नीम के 6  पत्ते  बेल के 10  पत्ते या 10 तुलसी के पत्ते , सफ़ेद फूल वाले सदाबहार के 6  पत्ते ,  इन सबको पीस कर या चबा कर खाने के बाद दही या एक गिलास लस्सी पीयें।

ढाई घंटे बाद आधा कप करेले का रस व अंकुरित दालों का नाश्ता करें। इसके साथ 5 या 6  लहसुन की कली भी लें , नाश्ता में कभी  पॉप कॉर्न , मूंग फली  , हाथ से  कुटा चिउड़ा भी ले सकते है। 

दोपहर का भोजन ---

दोपहर के भोजन में जों  , चना, मसूर , मोठ ,गेहूं ,ज्वार , राजमा , बाजरा , सोयाबीन , अरहर, कुल्थी , मटर , लोबिया , उडद और ग्वार को समान मात्रा में मिलाकर पिसायें तथा इसकी रोटी लें।  इन दालों और फली वाले आहार में एक विशिष्ट प्रकार का ग्लेक्टोमेनेस  फाइबर पाया जाता है जो आतों की  शर्करा रोकने की गति को बहुत धीमा कर देता है। जिसके कारण ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ पाता। 2 से 3 रोटी , २५० ग्राम उबली सब्जियां , सलाद 200  ग्राम , दही 100 ग्राम, अंकुरित मेथी 15  ग्राम , धनिया ,पोदीना , लहसुन  टमाटर आदि की चटनी तथा भोजन के 10  मिनट पूर्व 10 ग्राम मेथी का चूर्ण लें। 

दोपहर के बाद--

जामुन की गुठली का चूर्ण डेढ़ चम्मच तथा एक गिलास छाछ , पपीता , अमरुद ,आलूबुखारा , जामुन स्ट्रॉबेरी आदि खट्टे व कम मीठे फल ,शलजम ,ककडी ,टमाटर आदि मिलाकर या अकेले ही ले सकते हैं।  मात्रा ---- 250 से 300  ग्राम तक। 

रात्रि कालीन भोजन --

प्रत्येक भोजन में खाने से  10  मिनट पूर्व 10 से 15 ग्राम मेथी का चूर्ण अवश्य लें। इसके बाद दोपहर के भोजन की तरह  ही  भूख व इच्छानुसार अंकुरित अनाज व  फल, सब्जियां लें। जामुन व जामुन की गुठली में , करेले में , शलजम , सलाद  के पत्ते ,  लौकी  , खीरा , सदाबहार , नीम , तुलसी और सदाबहार के पत्तो में प्राकृतिक  इन्सुलिन की ही तरह शुगर  नाशी रसायन पाया जाता है जो ब्लड  में शुगर को नियंत्रित करता है।     

इस दिनचर्या को अपना कर  अनगिनत लोग स्वयं को स्वस्थ बना चुके हैं। आप भी इसका  चमत्कारिक लाभ उठायें। 

नोट -- आयुर्वेदिक  घरेलू वस्तुओ से साइड इफेक्ट  के बराबर होते है फिर भी कोई चीज आपको सूट न करती हो तो उसका उपयोग  करें।
            

            

                               
        
                                                        
           

रविवार, 19 जुलाई 2015

सर्दी जुकाम से कुछ यूं बचें।

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मौसम के बदलते ही जब कभी  हमारा शरीर मौसम के अनुसार एडजस्ट  नहीं कर पाता तो  अक्सर हमें सर्दी जुकाम  की शिकायत शुरू हो जाती है। यूं तो ये बिमारी  साधारण सी लगती है पर पूरे शरीर पर अपनी छाप  देती है। सर्दी जुकाम का कोई स्थाई उपचार नहीं है। जब हमारा इम्यून  सिस्टम कमजोर हो या पेट ठीक ना हो तो ऐसी स्थिति में सर्दी जुकाम बहुत जल्दी पकड़ बना लेता है। एलोपैथिक  दवाइयों से जुकाम दब तो जाता है पर उसके साइड इफेक्ट  बने रहते हैं । यदि हम कुछ सावधानियां बरते  या घरेलू उपाय अपनाये, जो कि  आसानी उपलब्ध हो जाते है तो इससे बचे रहते हैं । यदि जुकाम होने से पहले ही उससे बचा जा सके तो एक साथ कई परेशानियों से बचा जा सकता है.


 जुकाम क्या है  -

जुकाम एक तरह की एलर्जी  है।  हमारे श्वसन तन्त्र  में जुकाम होने पर पस  सेल्स  और पानी का मिश्रण बन जाता है जो नाक व गले के माध्यम से बहने लगता है। जुकाम इस बात का लक्षण है की श्वसन तंत्र में  इंफेक्शन  हो चुका  है ,जो आगे चलकर निमोनिया, बुखार आदि  का रूप भी ले सकता है। 


 जुकाम के रूप -

जुकाम अनेक प्रकार का होता है। आम तौर पर  सामान्य जुकाम  हमारे इम्यून  सिस्टम के हिसाब से 4 -5  दिन या 6 -7  दिन या 1 0 दिन  तक भी  रह सकता  है। जिसमें शुरू में गले में खराश रहती है , नाक व आँख से पानी बहता है।  पर यदि जुकाम 5 - 7  दिन से ज्यादा रह जाए साथ में बुखार , बदन दर्द, खासी  व  बलगम भी हो तो डाक्टर को दिखाना चाहिए।


कैसे होता है जुकाम ? 

आम तौर पर  हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर पढ़ने पर ही हमें जुकाम होता है।  प्रदूषण भी एक मेन  कारण  कहा जा सकता है। जिसके कारण  एलर्जी जैसे रोग बढ़ते ही जा रहे है।  हवा में स्थित बैक्टीरिया जब श्वास  के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करते है तो एलर्जी हो जाती है। ये वाइरस हमारे श्वसन तंत्र को भी प्रभावित कर देते है। 

हमारे गले में अच्छे व बुरे दो तरह के बैक्टीरिया होते हैं , कभी मौसम बदलने पर , ठंडा व गरम खाने पर ,एकदम से गर्मी के बाद ठंडा पानी आदि पी लेने से बुरे बैक्टीरिया सक्रिय  हो उठते है जिसकी वजह से जुकाम हो जाता है।

सर्दी  जुकाम  ठीक करने के घरेलू  उपाय -

  • जब कभी गले में गले में खरास हो तो उसे जुकाम का अलार्म ही समझना  चाहिए।  सबसे पहले कोशिश करें की पेट में कब्ज ना रहे। क्योंकि  पेट में कब्ज रहना एक साथ कई रोगों को दावत देना है। जुकाम की आहट  मिलते ही एलोविरा का जूस सुबह व शाम 2 टाइम  ले सकते है।गुनगुने पानी में  नीबू व शहद मिला कर दिन में कई बार हर २ घंटे के अंतराल पर ले लें।  डाइबीटीज़ के पेशेन्ट बिना शहद के गुनगुने पानी में नीबू का रस लें.  जुकाम ज्यादा नहीं बढ़ पायेगा। साथ में हल्का व सुपाच्य भोजन करें। 
  • गले में खरास की शुरुआत होते ही गुनगुने पानी में  नमक डाल कर दिन में 3  या 4  बार गरारे करें , यह  जुकाम के बैक्टीरिया  को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। 
  • किसी स्टीम वैपराजार से या  किसी बर्तन में पानी गरम करके दिन में २ बार भाप लें , जिससे नाक व अंदर गले की सूजन कम होगी तथा बलगम भी गल कर बाहर आएगा। 

  • सौंठ ,,मुलेठी , काली मिर्च व पीपली को बराबर मात्रा में  मिलाकर पीस लें , इस पाउडर को शहद में मिलाकर दिन में 4  या 5  बार लें , जिन्हें शुगर है वो आधा छोटा चम्मच  मलाई में आधा चम्मच  इस मिक्सचर को मिला कर ले सकते हैं। 
  • एक  गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर उबाल लें , इसे गरम गरम ही  रत को सोने से पहले पीयें या  आधा चम्मच हल्दी को भून कर आधा चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 2 -3  टाइम चाट लें। 

  • अदरक का रस तथा शहद  बराबर मात्रा  में मिला लें  तथा इसका  दिन में 3 - 4 बार इसका सेवन करें। इससे जुकाम व खासी दोनों में लाभ होगा।
  • किशमिश को पानी के साथ पीस कर पेस्ट बना लें , इसमें चीनी डालकर उबाल लें ,ठंडा होने को रख दें रोज रात को सोने से पहले  आधा गिलास कुछ दिन लगातार पी लें। 
  •  लगभग  एक फिट लम्बी गिलोय की  डंडी लेकर कूट लें ,एक इंच के बराबर अदरक का टुकड़ा ,पांच लोंग,  आठ से दस पत्ते तुलसी के  व सात  कालीमिर्च ले कर  कूट लेँ , चार गिलास पानी में  मिलाकर  उबालें जब एक गिलास रह जाये तो घूंट -घूँट  कर  दिन में  2  या  3  बार पी लें निश्चय ही सर दर्द ,जुकाम तथा बुखार में लाभ होगा। जुकाम अधिक  तेज होने पर दिन में 4  टाइम भी ले सकते हैं। 

  • जुकाम के इलाज में हल्दी  बहुत अधिक फायदेमंद  है।  जब नाक व आखो से पानी बह   रहा हो तो ,हल्दी को जलाकर उसका धुँआ सूंघने से नाक से पानी बहना बंद हो जाता है। 
  • यदि  नाक बंद हो तो काली मिर्च , इलाइची , दालचीनी व जीरा को बराबर मात्रा में लेकर थोड़ा कूट कर एक पतले  सूती कपडे या रुमाल में बांधकर  बार - बार सूंघें ,  जिससे छींक आएगी तथा बंद नाक खुल जाएगी। 

  • कपूर की एक टिकिया सूती कपडे में बांधकर सूंघने से भी  बंद नाक खुल जाती है।  
  • जुकाम में विटामिन सी बहुत लाभदायक है। विटामिन सी युक्त मौसमी  फलों   का सेवन करें। 

  • 6 ग्राम काली मिर्च को  30 ग्राम गुड , 60 ग्राम दही के साथ  मिलाकर सुबह व शाम 5  या    6  दिन लगातार खाने से बिगड़ा हुआ जुकाम ठीक हो जाता है। 
  • 4 या 5  खजूर को एक गिलास दूध में उबालकर रात को सोने से प       पहले खजूर खा कर  ऊपर से दूध पीकर मुंह ढक कर सो जाएँ  तीन या चार दिन लगातार  लगातार पीने से लाभ होगा। 
योग और प्राणायाम से सर्दी जुकाम में लाभ   

  • बार सर्दी जुकाम होता हो या  एलर्जी के कारण  जुकाम हो तो योग व प्राणायाम से बढ़कर कोई और दूसरा लाभदायक उपाय  नहीं हो सकता। किसी एक्सपर्ट की देखरेख में जल नेति, सूत्र नेति , व  कुंजल क्रिया करें। सूर्य नमस्कार , धनुरासन , उत्तानपादासन आदि लाभदायक हैं , साथ में नित्य भस्त्रिका ,कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से एलर्जी व जुकाम कंट्रोल  होगा तथा इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा।      

नोट --- आयुर्वेदिक  घरेलू वस्तुओ से साइड इफेक्ट  के बराबर होते है फिर भी कोई चीज आपको सूट न करती हो तो उसका उपयोग  करें।  


     






                                                                                                   
   

रविवार, 5 जुलाई 2015

गिरते बालों के लिए घरेलू उपचार

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बाल हमारी सुन्दरता को कई गुना बढा देते है। स्वस्थ चमकीले व घने बाल किसे अच्छे नहीं लगते, पर बालों की देखभाल सही तरह से न की जाये तो बाल गिरने शुरू हो जाते हैं। हालांकि सामान्यत: लोगों के बाल झड़ते हैं लेकिन सामान्य से ज्यादा बाल झड़ रहे हैं तो समझिए कि समस्या गम्भीर हैं। बाल झड़ने के पीछे तनाव, इन्फेक्शन, हार्मोन्स का असंतुलन, पोषक पदार्थों की कमी, अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट्स, लापरवाही बरतना या बालों की सही देखभाल न करना घटिया साबुन और शैंपू का प्रयोग आदि कई कारण हो सकते है। यहाँ पर हम पेश कर रहे हैं कुछ नुस्खे जो हमेँ गिरते बालों की समस्या से बचाएंगे ।

  1.  बालों का गिरना रोकने और बालों की वृद्धि के लिए सप्ताह में एक बार अपने बालों की किसी अच्छे तेल से मसाज कीजिए, इससे बाल मजबूत होते हैं।
  2.  बालों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने के लिए बालों को भरपूर पोषण दीजिए। मेंहदी में भरपूर पोषण होता है जो बालों के लिए फायदेमंद है, इसलिए बालों में मेहंदी लगानी चाहिए।मेंहदी को अंडे के साथ मिलाकर लगाने से भी बहुत फायदा होता है। 
  3. बालों के झड़ने का मुख्य कारण शारीरिक गतिविधियों की कमी भी है। नियमित रूप से व्यायाम करने से भी बाल गिरना बन्द होता है , ज़रुरत के हिसाब से बालों को गिरने से रोकने के लिए रोजाना कम से कम पन्द्रह मिनिट की कसरत work out अनिवार्य है। 
  4.  नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा। 
  5. हमारे शरीर की बनावट में पानी की मात्रा कुछ ज्यादा, लगभग दो तिहाई होती है। आपकी त्वचा, बाल, रक्त, शुक्राणु, इन सबको स्वस्थ रहने के लिए और अपना कार्य सक्षमता से करने के लिए पानी की ज़रुरत पड़ती है। रोजाना 10 से 12 गिलास पानी पीने से हमारे रक्तसंचार में सुधार होता है हमारे अन्दर किसी भी रोग को रोकने की शक्ति पैदा होती है। हमारे बालों की जड़ें भी मज़बूत हो जाती हैं। पानी से हमारा वज़न भी कम हो जाता है। पानी हमारे बालों में भी एक नयी चमक पैदा करता है, और उन्हें स्वस्थ और मज़बूत रखता है। तो अगर आप अपने बालों को गिरने से रोकना चाहते हैं तो आप पानी पीने कोइ भी कंजूसी ना करें वरन जी भर के पानी पीजिये। पानी आपको एक साथ कई रोगो से दूर रखेगा ।
  6. दही एक बहुत ही अचूक घरेलू नुस्खा है। दही से बालों को पोषण मिलता है। बालों को धोने से कम से कम 1/2 घंटे पहले बालों में दही लगाइये और जब यह पूरी तरह सूख जाएं तो उसे पानी से धो लीजिए। एक दिन छोड़ कर कुछ दिन ये प्रयोग करे लाभ होगा। 
  7. बालों को धोने से एक घंटा पहले बालों में अंडे लगाने से भी बाल मजबूत होते हैं।
  8. दही में नींबू का रस मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। नींबू के रस को दही में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए। नहाने से पहले इस पेस्ट को बालों में लगाइए, 30 मिनट बाद बालों को धुल लीजिए। बालों का गिरना कम हो जाएगा।
  9. बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। इससे भी बालों में चमक आती है और झड़ना भी बन्द होता है ।
  10. बालों मे तेल व नीबू मिलाकर मलिश करने के बाद गरम पानी मे तौलिया भीगा लें व सिर मे लपेट कर इसकी भाप लें, चार पाँच बार के प्रयोग से ही लाभ हो जायेगा। 
  11. शहद के प्रयोग से भी बालों का झडऩा रोका जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच शहद और एक चम्मच नीबूं को मिलाकर नहाने से 1/2 घंटा पहले अपने बालों में लगाने से बालों का गिरना बहुत कम हो जाता है। 
  12. दालचीनी और शहद को मिलाकर भी बालों में लगाइए। इससे भी बालों का झड़ना बंद होता है। 
  13. दस मिनट तक कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल भी नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी। 
  14. गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उनका पेस्ट बनाकर नहाने से पहले उसे लगाने से भी बालों का गिरना कम होता है।
  15. बालों में सप्ताह में एक बार तिल का तेल जरूर लगाएं। इस तेल के लगातार उपयोग से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। 
  16. आधा कप दही में एक ग्राम काली मिर्च और थोड़ा नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं, शीघ्र ही बहुत फायदा होगा। 
  17. धूम्रपान और एल्कोहल [शराब ] हमारे पूरे शरीर के लिये हानिकारक है यह हमारे शरीर में ऐसे विषैले तत्व पैदा करते है जो की हमारे बालों के लिए बहुत हीं हानिकारक होते हैं। इसलिए यदि आप अपने शरीर और अपने बालों से प्यार करते है तो इनके सेवन से पूरी तरह से परहेज करें। 
  18. मधुमक्खी के छत्ते को सरसो के तेल मे डालकर जला ले उस तेल को छान कर बालों की मालिश करे बाल गिरने बंद हो जायेंगे। 
  19. आवले का किसी भी रूप मे प्रयोग करे ,आँवला बालो की देख रेख के साथ आपके इम्यून सिस्टम को भी बढ़ाएगा। 
  20. आवला शिकाकाई व रीठा तीनो को कूटकर मिला लें व रात को भीगा दे सुबह मसल कर उसका रस निकल लें , इस शैम्पू से सर धोये।, कभी बाल नहीं गिरेंगे। 
  21. बालों को विडामिन डी की भी आवश्यकता होती है । विटामिन डी बालों को बढ़ने में काफी मददगार साबित होता है । जब आप अपने शरीर पर कम से कम 15 मिनिट के लिए भी प्रातः कालीन सूर्य की किरणें पड़ने देते हैं, तो आपको उस दिन के लिए ज़रूरी मात्रा में विटामिन डी की खुराक मिल जाती है, इसलिए आप सूर्य की किरणों का फायदा सुबह ही उठाइए। 
  22. जंक फ़ूड , डब्बाबंद आहार, तैलीय खाना आदि में पौष्टिक तत्वों की कमी होती है इससे हमारे शरीर को सही मात्रा में आयरन, कैल्सियम , जिंक , विटामिन सी और प्रोटीन वगैरह नहीं मिल पाते। यह सब बालों के बढ़ने के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं इसीलिए जंक फूड को छोड़कर हरी सब्जियां, फल, सूखे मेवे, दूध, अंडे खाइए जिससे कि हमारे जीवन में पौष्टिक आहारों की कमी ना रहे।
  23. योग व प्राणायाम को अपने जीवन मे स्थान दे ,दोनोँ हाथो के नाखूनों को [अँगूठा को छोडकर ] आपस मे रोज खाली पेट दस मिंनट तक रगड़ें , बालो से समबन्धित सभी परेशानियाँ एक साथ दूर हो जाएँगी।
नोट ---आयुर्वेदिक  घरेलू वस्तुओ से साइड इफेक्ट  के बराबर होते है फिर भी कोई चीज आपको सूट  करती हो तो उसका उपयोग  करें।  

रविवार, 17 मई 2015

जोडों का दर्द ( अर्थराइटिस ) दूर करें घरेलू उपचार से

              

जोड़ों का दर्द आजकल एक आम दुखदाई समस्या बन गया है। प्रायः 40 की उम्र के बाद से यह रोग शुरू होता है , पर कभी तो यह उचित व्यायाम खान पान के आभाव में बहुत छोटी उम्र में ही अपने पैर पसारने लगता है। अर्थराईटिस के कई प्रकार होते है जैसे ऑस्टिओ अर्थराइटिस, रुमेटाइड अर्थराइटिस, सोराइटिक अर्थराइटिस , पोलिमायल्गिया रूमेटिका , गाउट , सिउडोगाउटएन्कायलॉजिंग स्पोंडिलाइटिस ,थ्रोएक्टिव अर्थराइटिस पोलिमायोसाइटिस आदि। पर इनमें से ऑस्टिओ अर्थराइटिस रूमेटाइड अर्थराइटिस अधिक कष्टदाई हैं। सबसे अधिक दर्द इनमें ही होता है। 

आस्टिओअर्थराइटिस                            
 ऑस्टिओआर्थराइटिस आम प्रकार का रोग है , जो उम्र बढ़ने के साथ होता है। ये घुटने ,कूल्हे तथा अंगुलिओं में सबसे ज्यादा असर करता है। कभी - कभी ऑस्टिओअर्थराइटिस जोड़ो में चोट लगने के कारण भी होता है, जो धीरे - धीरे समय के साथ ठीक भी हो सकता है। 

 रूमेटिक अर्थराइटिस
 रूमेटिक अर्थराइटिस तब होता है जब हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है ठीक से काम नहीं कर रहा होता है। इससे हमारे जोड़ हड्डियां तो प्रभावित होती ही है, शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते है।
गाउट
अर्थराइटिस का एक और प्रकार है गाउट , जो जोड़ों में फैट जमा होने से होता है। यह हाथ पैरों की अँगुलियों को पहले प्रभावित करता है फिर धीरे - धीरे सारे जोड़ों में फ़ैल सकता है। 

अर्थराइटिस के कारण
आम तौर पर अव्यवस्थित जीवन शैली के कारन होने वाले मधुमेह , थाइराइड मोटापे के शिकार लोगो को यह रोग होने की संभावना अधिक रहती है। 50 की उम्र के बाद उचित आहार विहार होने या व्यायाम के आभाव में जोड़ों में दर्द सूजन होना शुरू हो जाता है। अर्थराइटिस या गठिया में यूरिक एसिड का बढ़ जाना भी एक बड़ा कारण है। हमारे शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ जाने से यूरिक एसिड के कण हमारे घुटनों अन्य जोड़ों में जमा हो जाते हैं ,जिसके कारण जोड़ों में असहनीय दर्द शुरू हो जाता है। इसके साथ ही विटामिन डी कैल्शियम की कमी के कारण भी जोड़ों में दर्द होने लगता है। जोड़ों में स्थित कार्टिलेज में मौजूद लिक्विड कम हो जाने के कारण हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती है ,जो दर्द का कारण बन जाती हैं। दिनभर एक ही जगह पर बैठे रहना भी जोड़ों के दर्द का एक कारण है।

अर्थराइटिस की पहचान कैसे करें ?
  1. आर्थराइटिस की एक प्रमुख पहचान सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना है। सुबह एक से दो घन्टा जोड़ों में अकड़न दर्द रहता है , जो धीरे - धीरे दिन चढ़ने और गतिविधियों के साथ -साथ कम होता जाता है। 
  2. जोड़ों की गतिशीलता में कमी जाती है। स्ट्रैच करने में असुविधा दर्द होता है। 
  3. आम तौर से अर्थराइटिस में घुटने ,कलाई ,एड़ी आदि जोड़ों से दर्द शुरू होता है। 
  4. यह मरीज के शरीर के किसी एक जोड़ में या एक साथ अनेक जोड़ों में हो सकता है।
  5. घुटने ,एड़ी ,कलाई ,गर्दन ,कमर आदि का दुखना अर्थराइटिस है या फिर इसकी शुरुआत है।
  6. अर्थराइटिस में दवाई लेने से दर्द कम तो होता है पर दवाई बंद करने पर फिर उभर आता है। 

उपचार है आसान 
आहार विहार जड़ी बूटी से उपचार -
कुछ सरल घरेलू उपायों को अपना कर अपने खान पान तथा रहन सहन में थोड़ा परिवर्तन ला कर आप जोड़ों के दर्द में आराम पा सकते हैं। निम्न लिखित कुछ सरल से नुस्खे आजमा कर तो देखिये -
सर्व प्रथम यदि मोटापा है तो उसे कम करने का प्रयत्न करें। उसके लिए मेरा पिछला ब्लॉग ( मोटापे से मुक्ति पाएं हमेशा के लिए ) पढ़ सकते हैं। मोटापा जोड़ों का दर्द का मुख्य कारण है।

शरीर में पी. एस. .लेबिल बढ़ जाने के कारण जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।इसकी जाँच कराएं यदि बढ़ा हो तो हल्दी , मेथी दाना तथा सौंठ को बराबर मात्रा में पीस कर मिला लें , गरम पानी के साथ सुबह शाम गुनगुने पानी से एक -एक चम्मच ले सकते हैं। अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा प्रायः बंद कर दें 

अपने आहार में लहसुन का प्रयोग करें। प्रातः काल खाली पेट 2 या 3 कली लहसुन की दही के साथ ले लें। 2 या तीन महीने लगातार लें। लहसुन के प्रयोग से यूरिक एसिड गल कर के यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है। जो जोड़ों के दर्द का एक मुख्य कारण है।

आलू का प्रयोग अर्थराइडिस के लिए बहुत लाभदायक है। खाना खाने से पहले हर दिन दो आलुओं का रस या लगभग 100 मि.ली. रोज पीयें , आलू पीस कर दर्द वाले स्थान पर लगाएं। सूखने पर धो लें सूजन कम होगी। 

                 

जोड़ों में दर्द होने पर अदरक का सेवन किसी भी रूप में अधिक से अधिक करें। अदरक में दर्द को कम करने की क्षमता होती है। 


एलोविरा का रस रोज आधा कप सुबह शाम को पीये,लगातार रोज पीने से और भी कई रोग दूर हो जाते हैं।


नीबू के रस का सेवन करें नीबू का रस दर्द वाले स्थान पर लगाएं।  


बथुवे के पत्तों का ताजा रस रोज लगभग 15 ग्राम तीन महीने तक लगातार लेने से आश्चर्य जनक लाभ होता है।  


अमरुद की चार या पांच कोमल पत्तियों को पीस कर रोज पानी से लेने पर दर्द में लाभ होता है। दर्द सूजन वाले स्थान पर अमरुद की पत्तियां पीस कर भी लगा सकते हैं। अमरुद की पत्तियों में एंटी ऑक्सीडेंट ,एंटी बैक्टीरियल एंटी इम्फेमेटरी गुण पाया जाता है जो अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में समर्थ है। 


डेढ़ चम्मच दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर एक कप गुनगुने पाउडर के साथ रोज सुबह खाली पेट ले लें। जिन्हें डाइबीटीज़ है वो शहद लें। 2008 में बायोर्गेनिक एंड मेडिशनल कैमिस्ट्री में प्रकाशित एक स्टडी में हड्डी रोगों पर दाल चीनी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है शरीर में जब ओस्टेओक्लास्ट नामक कोशिकाओं की गतिविधियाँ बढ़ जाती है ,तो हमारी हड्डियों को नुकसान पहुँचता है। दालचीनी इस बढ़ती हुई गतिविधि को रोककर हड्डियों को ठीक करने में मदद करती है। कम से कम तीन या चार महीने दाल चीनी का प्रयोग लगातार करें।


 शिलाजीत की एक या दो बूँद दूध में मिला कर नित्य लें।


अजवाइन को तवे पर थोड़ा भून ले ठंडा होने पर धीरे धीरे सुबह खाली पेट चबा लें। 10 दिन में ही काफी सुधार हो जाएगा।


हार सिंगार की 5 या 6 पत्तियां सुबह खाली पेट पीस कर गुनगुने पानी से ले लें। या इसकी टहनियां, पत्तियां और फूलों को सुखाकर उसका काढ़ा बनाकर पीयें।

सिकाई करें -    

जोड़ों की सिकाई एक आसान प्रभावी उपाय है। जहाँ कही भी दर्द हो रहा हो ,ठन्डे गरम पानी की सिकाई करें। 3 मिनट गरम पानी से भीगा तौलिया ले कर सिकाई करें , उसके बाद 2 मिनट ठन्डे बर्फ वाले पानी के तौलिये से सिकाई करें। उसके बाद सिकाई वाले स्थान को कुछ देर के लिए ढक दें। यह प्रक्रिया बार बार भी दोहरा सकते हैं, दर्द में लाभ होगा।


एक भगोने में एक मुठ्ठी अजवाइन , नमक पानी डालकर उसे खूब खौला लें। जब खौलने लगे तो उसके ऊपर एक छलनी रख दें ,इस छलनी के ऊपर एक गीला करके निचोड़ा हुआ कपड़ा रख दें। भाप से जब यह कपड़ा गरम हो जाये तो इससे जोड़ों की सिकाई करें तब तक चलनी के ऊपर दूसरा कपड़ा रखें , इस तरह करीब २० मिनट तक रोज सिकाई करें आशातीत लाभ होगा। 


मालिश करें -

जोड़ों के दर्द में मालिश एक आसान प्रभावी प्रक्रिया है दर्द से प्रभावित स्थानों में हलके हाथ से धीरे - धीरे शुद्ध सरसों या तिल के तेल से मालिश करें। मालिश करने से मांशपेशियों में रक्त संचार तीव्रता से होने लगता है ,जिससे हड्डियों को पोषण आरोग्य प्राप्त होता है। 


योग प्राणायाम सबसे अधिक लाभदायक है -

योग , आसन प्राणायाम जोड़ों के दर्द में सबसे अधिक लाभदायक है। प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट कपालभाति प्राणायाम तथा लगभग 30 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम अवश्य करें। उत्तानपादासन , हलासन , मकरासन ,धनुरासन , बटर फ्लाई तथा सूर्यनमस्कार आदि आसान करें। सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण व्यायाम माना जाता है। यदि आप एक्सर्साइज़ करने के अभ्यस्त नहीं हैं तो बहुत कम धीरे -धीरे शुरू करें। कुछ समय के बाद धीरे -धीरे अभ्यास को बढ़ाएं। पूर्ण मनोयोग से तथा सकारात्मक विचारों को अपने मन में रखकर नित्य प्राणायाम ,ध्यान व्यायाम यदि आप करते है तो जोड़ों का दर्द तो शर्तिया दूर होगा ही साथ में शरीर के अन्य रोग भी प्राणायाम करने से एक साथ दूर हो जाएंगे।शीघ्र लाभ के लिए सुबह शाम दोनों टाइम प्राणायाम करें।




नोट --- आयुर्वेदिक घरेलू वस्तुओ से साइड इफेक्ट के बराबर होते है फिर भी कोई चीज आपको सूट करती हो तो उसका उपयोग करें।