रविवार, 17 मई 2015

जोडों का दर्द ( अर्थराइटिस ) दूर करें घरेलू उपचार से

              

जोड़ों का दर्द आजकल एक आम दुखदाई समस्या बन गया है। प्रायः 40 की उम्र के बाद से यह रोग शुरू होता है , पर कभी तो यह उचित व्यायाम खान पान के आभाव में बहुत छोटी उम्र में ही अपने पैर पसारने लगता है। अर्थराईटिस के कई प्रकार होते है जैसे ऑस्टिओ अर्थराइटिस, रुमेटाइड अर्थराइटिस, सोराइटिक अर्थराइटिस , पोलिमायल्गिया रूमेटिका , गाउट , सिउडोगाउटएन्कायलॉजिंग स्पोंडिलाइटिस ,थ्रोएक्टिव अर्थराइटिस पोलिमायोसाइटिस आदि। पर इनमें से ऑस्टिओ अर्थराइटिस रूमेटाइड अर्थराइटिस अधिक कष्टदाई हैं। सबसे अधिक दर्द इनमें ही होता है। 

आस्टिओअर्थराइटिस                            
 ऑस्टिओआर्थराइटिस आम प्रकार का रोग है , जो उम्र बढ़ने के साथ होता है। ये घुटने ,कूल्हे तथा अंगुलिओं में सबसे ज्यादा असर करता है। कभी - कभी ऑस्टिओअर्थराइटिस जोड़ो में चोट लगने के कारण भी होता है, जो धीरे - धीरे समय के साथ ठीक भी हो सकता है। 

 रूमेटिक अर्थराइटिस
 रूमेटिक अर्थराइटिस तब होता है जब हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है ठीक से काम नहीं कर रहा होता है। इससे हमारे जोड़ हड्डियां तो प्रभावित होती ही है, शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते है।
गाउट
अर्थराइटिस का एक और प्रकार है गाउट , जो जोड़ों में फैट जमा होने से होता है। यह हाथ पैरों की अँगुलियों को पहले प्रभावित करता है फिर धीरे - धीरे सारे जोड़ों में फ़ैल सकता है। 

अर्थराइटिस के कारण
आम तौर पर अव्यवस्थित जीवन शैली के कारन होने वाले मधुमेह , थाइराइड मोटापे के शिकार लोगो को यह रोग होने की संभावना अधिक रहती है। 50 की उम्र के बाद उचित आहार विहार होने या व्यायाम के आभाव में जोड़ों में दर्द सूजन होना शुरू हो जाता है। अर्थराइटिस या गठिया में यूरिक एसिड का बढ़ जाना भी एक बड़ा कारण है। हमारे शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ जाने से यूरिक एसिड के कण हमारे घुटनों अन्य जोड़ों में जमा हो जाते हैं ,जिसके कारण जोड़ों में असहनीय दर्द शुरू हो जाता है। इसके साथ ही विटामिन डी कैल्शियम की कमी के कारण भी जोड़ों में दर्द होने लगता है। जोड़ों में स्थित कार्टिलेज में मौजूद लिक्विड कम हो जाने के कारण हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती है ,जो दर्द का कारण बन जाती हैं। दिनभर एक ही जगह पर बैठे रहना भी जोड़ों के दर्द का एक कारण है।

अर्थराइटिस की पहचान कैसे करें ?
  1. आर्थराइटिस की एक प्रमुख पहचान सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना है। सुबह एक से दो घन्टा जोड़ों में अकड़न दर्द रहता है , जो धीरे - धीरे दिन चढ़ने और गतिविधियों के साथ -साथ कम होता जाता है। 
  2. जोड़ों की गतिशीलता में कमी जाती है। स्ट्रैच करने में असुविधा दर्द होता है। 
  3. आम तौर से अर्थराइटिस में घुटने ,कलाई ,एड़ी आदि जोड़ों से दर्द शुरू होता है। 
  4. यह मरीज के शरीर के किसी एक जोड़ में या एक साथ अनेक जोड़ों में हो सकता है।
  5. घुटने ,एड़ी ,कलाई ,गर्दन ,कमर आदि का दुखना अर्थराइटिस है या फिर इसकी शुरुआत है।
  6. अर्थराइटिस में दवाई लेने से दर्द कम तो होता है पर दवाई बंद करने पर फिर उभर आता है। 

उपचार है आसान 
आहार विहार जड़ी बूटी से उपचार -
कुछ सरल घरेलू उपायों को अपना कर अपने खान पान तथा रहन सहन में थोड़ा परिवर्तन ला कर आप जोड़ों के दर्द में आराम पा सकते हैं। निम्न लिखित कुछ सरल से नुस्खे आजमा कर तो देखिये -
सर्व प्रथम यदि मोटापा है तो उसे कम करने का प्रयत्न करें। उसके लिए मेरा पिछला ब्लॉग ( मोटापे से मुक्ति पाएं हमेशा के लिए ) पढ़ सकते हैं। मोटापा जोड़ों का दर्द का मुख्य कारण है।

शरीर में पी. एस. .लेबिल बढ़ जाने के कारण जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।इसकी जाँच कराएं यदि बढ़ा हो तो हल्दी , मेथी दाना तथा सौंठ को बराबर मात्रा में पीस कर मिला लें , गरम पानी के साथ सुबह शाम गुनगुने पानी से एक -एक चम्मच ले सकते हैं। अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा प्रायः बंद कर दें 

अपने आहार में लहसुन का प्रयोग करें। प्रातः काल खाली पेट 2 या 3 कली लहसुन की दही के साथ ले लें। 2 या तीन महीने लगातार लें। लहसुन के प्रयोग से यूरिक एसिड गल कर के यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है। जो जोड़ों के दर्द का एक मुख्य कारण है।

आलू का प्रयोग अर्थराइडिस के लिए बहुत लाभदायक है। खाना खाने से पहले हर दिन दो आलुओं का रस या लगभग 100 मि.ली. रोज पीयें , आलू पीस कर दर्द वाले स्थान पर लगाएं। सूखने पर धो लें सूजन कम होगी। 

                 

जोड़ों में दर्द होने पर अदरक का सेवन किसी भी रूप में अधिक से अधिक करें। अदरक में दर्द को कम करने की क्षमता होती है। 


एलोविरा का रस रोज आधा कप सुबह शाम को पीये,लगातार रोज पीने से और भी कई रोग दूर हो जाते हैं।


नीबू के रस का सेवन करें नीबू का रस दर्द वाले स्थान पर लगाएं।  


बथुवे के पत्तों का ताजा रस रोज लगभग 15 ग्राम तीन महीने तक लगातार लेने से आश्चर्य जनक लाभ होता है।  


अमरुद की चार या पांच कोमल पत्तियों को पीस कर रोज पानी से लेने पर दर्द में लाभ होता है। दर्द सूजन वाले स्थान पर अमरुद की पत्तियां पीस कर भी लगा सकते हैं। अमरुद की पत्तियों में एंटी ऑक्सीडेंट ,एंटी बैक्टीरियल एंटी इम्फेमेटरी गुण पाया जाता है जो अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में समर्थ है। 


डेढ़ चम्मच दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर एक कप गुनगुने पाउडर के साथ रोज सुबह खाली पेट ले लें। जिन्हें डाइबीटीज़ है वो शहद लें। 2008 में बायोर्गेनिक एंड मेडिशनल कैमिस्ट्री में प्रकाशित एक स्टडी में हड्डी रोगों पर दाल चीनी इसके प्रभाव के बारे में चर्चा की गई है शरीर में जब ओस्टेओक्लास्ट नामक कोशिकाओं की गतिविधियाँ बढ़ जाती है ,तो हमारी हड्डियों को नुकसान पहुँचता है। दालचीनी इस बढ़ती हुई गतिविधि को रोककर हड्डियों को ठीक करने में मदद करती है। कम से कम तीन या चार महीने दाल चीनी का प्रयोग लगातार करें।


 शिलाजीत की एक या दो बूँद दूध में मिला कर नित्य लें।


अजवाइन को तवे पर थोड़ा भून ले ठंडा होने पर धीरे धीरे सुबह खाली पेट चबा लें। 10 दिन में ही काफी सुधार हो जाएगा।


हार सिंगार की 5 या 6 पत्तियां सुबह खाली पेट पीस कर गुनगुने पानी से ले लें। या इसकी टहनियां, पत्तियां और फूलों को सुखाकर उसका काढ़ा बनाकर पीयें।

सिकाई करें -    

जोड़ों की सिकाई एक आसान प्रभावी उपाय है। जहाँ कही भी दर्द हो रहा हो ,ठन्डे गरम पानी की सिकाई करें। 3 मिनट गरम पानी से भीगा तौलिया ले कर सिकाई करें , उसके बाद 2 मिनट ठन्डे बर्फ वाले पानी के तौलिये से सिकाई करें। उसके बाद सिकाई वाले स्थान को कुछ देर के लिए ढक दें। यह प्रक्रिया बार बार भी दोहरा सकते हैं, दर्द में लाभ होगा।


एक भगोने में एक मुठ्ठी अजवाइन , नमक पानी डालकर उसे खूब खौला लें। जब खौलने लगे तो उसके ऊपर एक छलनी रख दें ,इस छलनी के ऊपर एक गीला करके निचोड़ा हुआ कपड़ा रख दें। भाप से जब यह कपड़ा गरम हो जाये तो इससे जोड़ों की सिकाई करें तब तक चलनी के ऊपर दूसरा कपड़ा रखें , इस तरह करीब २० मिनट तक रोज सिकाई करें आशातीत लाभ होगा। 


मालिश करें -

जोड़ों के दर्द में मालिश एक आसान प्रभावी प्रक्रिया है दर्द से प्रभावित स्थानों में हलके हाथ से धीरे - धीरे शुद्ध सरसों या तिल के तेल से मालिश करें। मालिश करने से मांशपेशियों में रक्त संचार तीव्रता से होने लगता है ,जिससे हड्डियों को पोषण आरोग्य प्राप्त होता है। 


योग प्राणायाम सबसे अधिक लाभदायक है -

योग , आसन प्राणायाम जोड़ों के दर्द में सबसे अधिक लाभदायक है। प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट कपालभाति प्राणायाम तथा लगभग 30 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम अवश्य करें। उत्तानपादासन , हलासन , मकरासन ,धनुरासन , बटर फ्लाई तथा सूर्यनमस्कार आदि आसान करें। सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण व्यायाम माना जाता है। यदि आप एक्सर्साइज़ करने के अभ्यस्त नहीं हैं तो बहुत कम धीरे -धीरे शुरू करें। कुछ समय के बाद धीरे -धीरे अभ्यास को बढ़ाएं। पूर्ण मनोयोग से तथा सकारात्मक विचारों को अपने मन में रखकर नित्य प्राणायाम ,ध्यान व्यायाम यदि आप करते है तो जोड़ों का दर्द तो शर्तिया दूर होगा ही साथ में शरीर के अन्य रोग भी प्राणायाम करने से एक साथ दूर हो जाएंगे।शीघ्र लाभ के लिए सुबह शाम दोनों टाइम प्राणायाम करें।




नोट --- आयुर्वेदिक घरेलू वस्तुओ से साइड इफेक्ट के बराबर होते है फिर भी कोई चीज आपको सूट करती हो तो उसका उपयोग करें।